Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation

उद्देश्य
(Objectives)

1. पालि-भाषा को सम्भाषण-भाषा (Spoken language) का स्वरूप प्रदान करना, ताकि इस भाषा को लोकव्यापी बनाया जा सके तथा जनता द्वारा इसमें निहित ज्ञान-राशि को उसके मूल रूप में समझने हेतु कौशल विकसित किया जा सके।

2. पालि तथा बुद्ध-धम्म में उपलब्ध साहित्य के माध्यम से समाज में शील-सदाचार, बन्धुत्व, मैत्राी और समता के तत्त्वों को प्रचारित करना तथा उन्हें धारण करने हेतु सम्प्रेरित करने हुए समाज को प्रबुद्धता की ओर अग्रेसर करना।

3. पालि-विद्या की सभी विधाओं के अध्ययन, अनुसन्धान और प्रचार-प्रसार को विवर्धित तथा विकसित करना; उनको स्वतन्त्र-शाखाओं (Independent branches) के रूप में स्थापित करना। यथा - पालि-वांमय में औषधि-विज्ञान, पालि-मनोविज्ञान, पालि व्याकरण-शास्त्र, पालि अलंकार एवं छन्दशास्त्र, इत्यादि।

4. पालि-विद्या के विकास तथा व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए देश के विभिन्न नगरों में शान्तिमय तथा स्वच्छ वातावरण में ‘पालि-सम्भासन-साला’ (Center of Spoken Pali) स्थापित करना तथा उनमें आधुनिक तथा तकनीकी प्रणालियों एव प्रविधियों के द्वारा सुव्यवस्थित, क्रमबद्ध तथा अनवरत रूप से महीने में दो बार दस या पन्द्रह दिवसीय पालि-सम्भाषण-प्रशिक्षण-अध्ययनशालाओं के आयोजन की व्यवस्था करना।

5. आधुनिक तथा तकनीकी प्रणालियों एव प्रविधियों के द्वारा पालि के वैश्विक प्रचार-प्रसार हेतु मिशनरी के तौर पर प्रशिक्षक तैयार करने के लिए पालि-शिक्षक-प्रशिक्षण-अध्ययनशालाओं के आयोजन की समुचित व्यवस्था करना तथा इन प्रशिक्षकों के लिए राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पालि में रोजगार का विकास करना। 

6. देश के विभिन्न स्थानों पर समान उद्देश्य पर कार्य करने वाली संस्थाओं के मध्य सामंजस्य बनाते हुए पालि एवं धम्म के प्रचार-प्रसार तथा समुन्नयन के लिए कार्य करना तथा शैक्षणिक रूप से किसी संस्था से असम्बद्ध समाज को पालि भाषा का शिक्षण-प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।

7. पालि के अध्ययन को सरल, आकर्षक और व्यापक बनाने के लिए उत्तम स्वाध्याय सामग्री, पत्राचार-पाठ्यक्रम तथा दूरस्थ शिक्षा सामग्री का निर्माण करना तथा नागरिकों को पालि पढ़ने के लिए सम्प्रेरित करना; पालि तथा धम्म की शिक्षा को व्यापक स्वरूप प्रदान करने की दृष्टि से विहारों को शिक्षा के केन्द्र के रूप में विकसित करना, जहाँ पालि, धम्म, कम्प्यूटर, विज्ञान, कला, शिल्प तथा अन्य आवश्यक कौशलों के संवर्धन की शिक्षा प्रदान की जायें।

8. सर्वजन-उपलब्धता, अध्ययन एवं अनुसन्धान की व्यापकता की दृष्टि से पालि-भाषा के अप्रकाशित, दुर्लभ, आधुनिक साहित्य तथा शिक्षण-सामग्री का योग्य सम्पादन तथा प्रकाशन करना। आधुनिक तकनीकी संसाधनों के माध्यम से जनोपयोगी एप्स तथा साफ्टवेयर्स का निर्माण तथा सर्वजन-समुपलब्धता कराना।

9. पालि-भाषा के विविध आयामों पर शोध-सम्मेलनों, संगोष्ठियों, व्याख्यानमालाओं एवं परिचर्चाओं का आयोजन करना; छात्रा-छात्राओं के लिए पालि-आधारित विभिन्न प्रकार की शैक्षणिक स्पर्धाएं आयोजित करना तथा उन्हें सम्मानित करना; पालि के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान प्रदान करने वाले विद्वानों को सम्मानित करना।

10. इसके अतिरिक्त उन सभी उत्तरदायित्वों एवं कार्यों का सम्पादन करना, जो पालि-भाषा तथा धम्म की व्यापकता के लिए आवश्यक हो तथा समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए आवश्यक हो।

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