Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation


दसमो पाठो~~~~~~~~~

प्रिय अध्येता मित्रो!
नमो बुद्धस्स!
‘पालि भाषा शिक्षण के इस पाठ में आपका अभिनन्दन है। अब आप ‘सा’ और ‘एसा’ के विषय में सीखेंगे।
जब कोई महिला, उपासिका, बालिका या मादा-प्राणी आदि दूर दिखाई दे, तो पालि भाषा में उसे ‘सा’ कहते हैं। ‘सा’ का अर्थ होता है-वह। इस सर्वनाम शब्द का पालि साहित्य में बहुत्र प्रयोग हुआ है। अतः इसे ध्यानपूर्वक जानना चाहिए।
जब कोई साधिका दूर स्थित हो, तो उसे पालि में ‘सा साधिका’ कहा जाता है। इसी प्रकार कुछ उदाहरणों को ध्यान से देखें-
सा साधिका (वह साधिका)
सा महिला (वह महिला)
सा गायिका (वह गायिका)
सा बालिका (वह बालिका)
सा नटी (वह नटी) ..... इत्यादि।
इसी प्रकार समीप की महिला या स्त्री-वर्ग को ‘एसा’ कहा जाता है। ‘एसा’ का अर्थ होता है-यह। इसके कुछ उदाहरण देखते हैं-
एसा उपासिका (यह उपासिका)
एसा भिक्खुनी (यह भिक्खुनी)
एसा सुजाता (यह सुजाता)
एसा धम्मसेविका (यह धम्मसेविका)
एसा माधुरी (यह माधुरी)
एसा तिस्सरक्खिता (यह तिष्यरक्षिता)
इस प्रकार पालि में स्त्रीवाची ‘सा’ तथा ‘एसा’-इन सर्वनामों का प्रयोग क्रमशः ‘वह’ और ‘यह’ इस अर्थ में किया जाता है। इनका प्रयोग इस प्रकार होता है-
(दूर के लिए) - सा।
जैसे - सा गोपा।
(समीप के लिए) - एसा।
जैसे - एसा गोतमी।
इसी प्रकार नीचे सूची में दिये गये शब्दों तथा पूर्व में सीखें हुए शब्दों के आधार पर स्त्रीलिंग सर्वनाम शब्दों ‘सा’ एवं ‘एसा’ की मदद से 50 वाक्य-समूहों की रचना कर अपना अभ्यास सुदृढ़ करें।
जैसे-
दूर - समीप
सा बालिका - एसा वेजयन्ती
(वह बालिका) - (यह वैजयन्ती)
सा साविका - एसा साधिका
सा नायिका - एसा खलनायिका
सा जया - एसा हेमा
सद्दसूची (शब्द-सूची)
अच्छरा - अप्सरा
ऊका - जूँ
कुटिका - कुटी
किरिया - क्रिया
अजा - बकरी
दिसा - दिशा
उक्का - मशाल
कञ्ञा - कन्या
कसा - चाबुक
कुञ्चिका - चाबी
गीवा - गला
गुहा - गुफा
चन्दिमा - चन्द्रमा
चन्दिका - चाँदनी
जाला - ज्वाला
जिव्हा - जीभ
तुला - तराजू
धारा - प्रवाह
नावा - नौका
पजा - प्रजा
पताका - ध्वजा
पूजा - पूजा
मञ्जूसा - पिटारी
महिला - महिला
माला - माला
रथिका - गली
लता - लता
छाया - छाया
नासा - नाक
निसा - रात
मक्खिका - मक्खी
मातुच्छा - मौसी
मुत्ता - मुक्ता-मोती
साखा - शाखा
सिला - पत्थर
अब आपसे पुनरपि निवेदन की बेला है। आप समय पर अभ्यास प्रेषित करें। प्रायः देखा जा रहा है कि सभी सदस्य अभ्यास नहीं कर रहे हैं या समय पर नहीं कर रहे हैं। इससे आपके शिक्षण में देरी होगी। आप जब तक नहीं भेजेंगे, तब तक आपको अगला पाठ नहीं भेजा जायेगा। दूसरी बात, कृपया इन पाठों को ज्यादा से ज्यादा व्हाट्सअप ग्रुप्स में शेयर करें तथा अधिकाधिक लोगों को पालि पढ़ने के लिए प्रेरित करें। पठमो पाठो को पहले, दुतियो पाठो को इसके पश्चात्, फिर ततियो पाठो ऐसे क्रम में शेयर करें, ताकि अध्येताओं को सुविधा हो। मैं स्वयं अनेक ग्रुप्स में जुड़ा हुआ हूँ, किन्तु एक भी ग्रुप में शेयरिंग के द्वारा ये पाठ दिखाई नहीं दिये। अतः आप सक्रियतापूर्वक इन पाठों को शेयर करें।
यदि आप पालिमित्ता या पीपीएफ के पालि शिक्षण के एक से ज्यादा ग्रुप में जुड़े हुए हैं, आपसे पुनः निवेदन है कि एक में ही रहे तथा बाकी से लेफ्ट कर लें। इससे आपको भी सुविधा होगी और दूसरे भी इन ग्रुप्स में जुड़ सकते हैं। हमें भी कम परिश्रम करना पड़ेगा तथा आपके ग्रुप को ठीक से निरीक्षित किया जा सकेगा।
कोरोना महामारी के इस दौर में अधिक से अधिक ध्यान-भावना करें तथा धम्म-साहित्य का अध्ययन करें।
घर में ही रहें। सुरक्षित रहें। बार-बार अपने हाथों को धोते रहे। अपना तथा अपनों का ध्यान रखें।
!!! भवतु सब्बमंगलं !!!
सबका मंगल हो
साधुवादो
- डा. पप्फुल्ल-गडपालो
81264 85505

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