Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation


छट्ठो पाठो
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प्रिय अध्येता मित्रो!
नमो बुद्धस्स!
‘पालि भाषा शिक्षण के इस पाठ में आपका हार्दिक स्वागत है।
आपने ‘अहं’ के साथ अपने व्यवसाय का भी परिचय देना थोड़ा-थोड़ा सीख लिया है। मेरा विचार है कि अब आप अधिक जानने के लिए तत्पर है। अतः नीचे दिये गये व्यवसायों को अपने नोट-बुक में लिखकर पूर्ण तन्मयता से याद करें-
पुल्लिंग-शब्द इत्थिलिंग (स्त्रीलिंग) शब्द
लेखको लेखिका
सम्पादको सम्पादिका
अज्झापको (अध्यापक) अज्झापिका
नटो (नाटक का पात्र) नटी
कलाकारो कलाकारा
नच्चको (डांसर) नच्चकी
नहापितो (नाई) नहापिती
नापितो (नाई) नापिती
कम्मारो (लोहार/सुनार) कम्मारी
वड्ढकी (बढ़ई) वड्ढकिनी
सारथी सारथिनी
वञ्चको (धोखेबाज) वञ्चिका
सुदो (खाना बनाने वाला) सुदिका
पाचको (खाना बनाने वाला) पाचिका
कस्सको (किसान) कस्सिका
सिप्पि (शिल्पी) सिप्पिनी
चित्तकारो (चित्रकार) चित्तकारिणी
विक्कयी (विक्रेता) विक्कयिनी
ओसधिको (दवा-विक्रेता) ओसधिका
तेलिको (तेली) तेलिका
गन्धिको (इत्र विक्रेता) गन्धिका
सूकरिको (कसाई) सूकरिका
पाजको (ड्रायवर) पाजिका
चालको (ड्रायवर) चालिका
मित्तो (मित्र) सखी
तापसो (तप करने वाला) तापसी
इसी इसिका
वेज्झो (वैद्य/डाॅक्टर) वेज्झा
तिकिच्छको (चिकित्सक/डाॅक्टर) तिकिच्छिका
अभियान्तिको (इंजीनियर) अभियान्तिका
यन्तसिप्पी (इंजीनियर) यन्तसिप्पिनी
उय्यानपालको (उद्यानपालक/माली) उय्यानपालिका
माली/मालाकारो (माली) मालाकारा
आरक्खको (आरक्षक/पुलिस) आरक्खिका
द्वारपालको (द्वारपाल) द्वारपालिका
सुवण्णकारो (सुनार) सुवण्णकारा
व्याधो/लुद्दो (शिकारी) व्याधिनी/लुद्दिका
कम्मकारो (मजदूर) कम्मकारा
नीतिवेदी (वकील) नीतिवेदिनी
वक्किलो (वकील) वक्किला
गणको (एकाउण्टेट) गणिका
वाणिजो (व्यापारी) वाणिजा
वण्णलेपको (पेंटर) वण्णलेपिका
कीळको (क्रीडक/खिलाड़ी) कीळका
उपदेसको (उपदेशक) उपदेसिका
भिक्खु (भिक्षु) भिक्खुनी
पकासको (प्रकाशक) पकासिका
उपाहनिको (चर्मकार) उपाहनिका
चम्मकारो (चर्मकार) चम्मकारा
आपणिको (दुकानदार) आपणिका
गायको गायिका
दासो दासी
भूमिमापको (जमीन नापने वाला) भूमिमापिका
रज्जुगाहको (जमीन नापने वाला) रज्जुगाहिका
तुण्णवायो (टेलर) तुण्णवाया
आचरियो (आचार्य) आचरिया
सिक्खापको (सीखाने वाला) सिक्खापिका
सिक्खको (शिक्षक) सिक्खिका
चोरो चोरिका
योद्धो (योद्धा) योद्धा
योधजीवो (योद्धा) योधजीवा
भटो (सैनिक) भटी
रजको (धोबी) रजिका
धोवको (धोबी) धोविका
लोहकारो (लुहार) लोहकारा
सुवण्णकारो (स्वर्णकार/सुनार) सुवण्णकारा
कुम्भकारो (कुम्हार) कुम्भकारा
सिस्सो (शिष्य) सिस्सा
कुछ आजीवो (व्यवसायों/आजीविका) को ध्यान से पढ़े-
आजीवो (Jobs) - आजीविका
1. वित्तकोसकम्मकरो (Banker) - बैंककर्मी
2. नहापितो/नापितो (Barber) - नाई
3. पसाधको (Beautician) - प्रसाधक
4. पाजको (Chauffeur) - ड्राइवर
5. आचरियो (Professor) - प्रोफेसर
6. ओसधविक्कयी (Pharmacist) - औषध विक्रेता
7. नावभटो (Sailor) - नौसैनिक
8. पसुतिकिच्छको (Veterinarian - पशु चिकित्सक
9. निद्देसको (Director) - निर्देशक
10. अज्झापको/सिक्खको (Teacher) - शिक्षक
11. नच्चको (Dancer) - नर्तक
12. कस्सको (Farmer) - किसान
आप देख रहे होंगे कि ये ज्यादातर शब्द हमारी भाषाओं, उपभाषाओं या बोलियों में एकदम इसी रूप में या थोड़े परिवर्तन के साथ मिलते हैं। कुछेक शब्दों में जो थोड़ा-बहुत अन्तर भी दिखाई देता है, उसका कारण है-मुखसुख (प्रयत्नलाघव)। पालि एक लोकभाषा थी। इस भाषा में ही लोग संवाद करते थे तथा अपने विचारों का आदान-प्रदान किया करते थे। इस कारण इस भाषा में जो शब्द प्रयोग किये जाते हैं, उनका उच्चारण करने में किसी प्रकार अतिरिक्त बल लगाने की आवश्यकता नहीं होती। एकदम सरलता तथा सहजता से हम इसका उच्चारण करते हैं। इसीलिए तो कहा गया-
पालिभासा अतिसरला, मधुरा भासा अतिसरसा
हमारी अपनी भाषाओं अथवा संस्कृत में जिन शब्दों का उच्चारण अत्यन्त क्लिष्टकर होता है, पालि में वे शब्द भी कुछ परिवर्तन के साथ अत्यन्त सरलता से उच्चारित किये जाते हैं। अतः इन शब्दों को ध्यानपूर्वक देखे तथा पालि में परिवर्तित करने के लिए ‘ओ’-प्रत्यय का प्रयोग करें।
मित्रो! बिना समय गंवाये खूब अध्ययन करें तथा आगे जाकर परियत्ति-विद्या को अच्छी तरह समझने हेतु कृत-संकल्पित हो जायें।
घर में ही रहें। सुरक्षित रहें। बार-बार अपने हाथों को धोते रहे। अपना तथा अपनों का ध्यान रखें।
!!! भवतु सब्बमंगलं !!!
सबका मंगल हो
साधुवादो
- डा. पप्फुल्ल-गडपालो
81264 85505


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