Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation

नवमो पाठो
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प्रिय अध्येता मित्रो!
नमो बुद्धस्स!
‘पालि भाषा शिक्षण के इस पाठ में आपका हार्दिक स्वागत है। अब आप एक नये विषय को सीखने की ओर अग्रसर है। इस पाठ को बिना किसी प्रमाद के सीखने का प्रयास करें। धैर्य से सीखें, ध्यान से सीखें, मन से सीखें।
जब कोई व्यक्ति दूर स्थित हो तो पालि में उसे ‘सो’ कहा जाता है। ‘सो’ का अर्थ होता है-वह। इस सर्वनाम शब्द का पालि साहित्य में बहुत प्रयोग हुआ है। अतः इसे ध्यानपूर्वक जानना चाहिए। जब कोई बालक दूर हो, तो उसे पालि में ‘सो बालको’ कहा जाता है। इसी प्रकार कुछ उदाहरणों को देखे-
सो साधको (वह साधक)
सो पुरिसो (वह पुरुष)
सो आचरियो (वह आचार्य)
सो गायको (वह गायक)
सो कलाकारो (वह कलाकार)
इसी प्रकार समीप के व्यक्ति को ‘एसो’ कहा जाता है। ‘एसो’ का अर्थ होता है-यह। इसके कुछ उदाहरण नीचे देखते हैं-
एसो पप्फुलो (यह प्रफुल्ल)
एसो उपासको (यह उपासक)
एसो भिक्खु (यह भिक्खु)
एसो धम्मपालको (यह धम्मपालक)
एसो असोको (यह अशोक)
एसो नटो (यह नट)
पालि में पुरुषवाची ‘सो’ तथा ‘एसो’ सर्वनामों का प्रयोग क्रमशः ‘वह’ और ‘यह’ इस अर्थ में किया जाता है। इनका प्रयोग इस प्रकार होता है-
(दूर के लिए) - सो
जैसे - सो बुद्धो
(समीप के लिए) - एसो
जैसे - एसो सावको
इसी प्रकार नीचे सूची में दिये गये शब्दों तथा पूर्व में सीखें हुए शब्दों के आधार पर पुल्लिंग सर्वनाम शब्दों ‘सो’ एवं ‘एसो’ की मदद से 50 वाक्य-युग्मों का निर्माण करें। जैसे-
दूर - समीप
सो बालको - एसो पुरिसो
(वह बालक) - (यह बालक)
सो सावको - एसो उपासको
सो नायको - एसो खलनायको
सो अमिताभो - एसो अमरीसपुरी
दिये हुये चित्र की सहायता से इसे समझने का प्रयास करें।
सद्दसूची (शब्द-सूची)
जनको - पिता
पुत्तो/दारको - पुत्र
मनुस्सो/मानुसो - मनुष्य
धनिको - धनी
दलिद्दो/अध्नो - गरीब
गजो/हत्थी - हाथी
अस्सो/घोटको - घोड़ा
गद्रभो - गधा
कुक्कुरो - कुत्ता
वानरो - बन्दर
महिसो - भैंस
सकुणो - चिड़िया
काको - कौंआ
सुको - तोता
बको - बगुला
मोरो/मयूरो - मोर
सप्पो - सर्प
नकुलो - नेवला
निगमो - कस्बा
गोपो - ग्वाला
पब्बतो - पर्वत
तडागो - तालाब
समुद्दो - समुद्र
रुक्खो - वृक्ष
सुरियो - सूर्य
चन्दो - चन्द्र
गामो - ग्राम
आसन्दो - कुर्सी
देसो - देश
पासादो - महल
मज्जारो/बिडालो - बिल्ला
भूपति/राजा - राजा
गहपति - गृहस्थ
सेनापति - सेनापति
कवि - कवि
अतिथि - अतिथि
गिरि - पर्वत
रवि - सूर्य
रासि - ढेर/समूह
निधि - खजाना
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घर में ही रहें। सुरक्षित रहें। बार-बार अपने हाथों को धोते रहे। अपना तथा अपनों का ध्यान रखें।
!!! भवतु सब्बमंगलं !!!
सबका मंगल हो
साधुवादो
- डा. पप्फुल्ल-गडपालो
81264 85505


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