Saturday, 25 April 2020
On April 25, 2020 by Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation No comments
विहारों को शिक्षा के केन्द्र के रूप में विकसित करना
भदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि संवर्धन प्रतिष्ठान गांव-गांव, नगर-नगर ऐसे सभी बुद्ध-विहारों को शिक्षा के केन्द्र के रूप में विकसित करना चाहता है, जहां किसी प्रकार की कोई शैक्षणिक गतिविधि या कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं। क्योंकि बिना शिक्षा के विहारों का कोई विशेष महत्त्व नहीं। विहार यदि शिक्षा से अछूते रहकर केवल पूजा-अर्चना के स्थल बनें रहे, तो ऐसे विहार कर्मकाण्ड के निष्प्राण स्थान ही होंगे। ऐसे विहारों का समाज को बहुत अधिक लाभ नहीं मिल पायेगा। अतः बुद्ध-विहारों में शिक्षा तथा संस्कृति निर्माण से सम्बद्ध गतिविधियों का आयोजन अवश्य ही किया जाना चाहिए।
इस कारण बुद्ध-विहार समाज के लिए (विशेषतः बच्चों के लिए) शिक्षा के केन्द्र-स्थल बनना चाहिए। यदि विहारों का शिक्षाकरण होगा, तो भगवान् बुद्ध की नैतिकता, शील-सदाचार तथा हित-सुख की शिक्षाएँ तथा बाबासाहब डाॅ. आंबेडकर का चिन्तन समाज में समुचित परिप्रेक्ष्य तथा सकारात्मक ढंग से पहुँचाया जा सकेगा। आज नई पीढ़ी को बुद्ध-मार्ग के अनुरूप शिक्षा दी जाये, तो समाज अतीव तीव्रता से विकास कर सकता है। भगवान् तथागत बुद्ध की शिक्षा सार्वकालिक, सार्वभौमिक तथा सार्वजनीन है; इसी कारण प्राणि-मात्र के लिए समानतया कल्याण-कारक है। मानवतावादी तथा वैज्ञानिकता भगवान् की शिक्षा की महत्त्वपूर्ण विशेषता है। इसमें प्रचलित धर्म, पन्थ, मत-मतान्तर या सम्प्रदायों के लिए कोई स्थान नहीं, ना ही इसमें कोई जाति-भेद या अन्य कोई भेद विद्यमान है। अतः प्रत्येक वर्ग के व्यक्ति को निःस्वार्थ भाव से धम्म की शिक्षा वितरित की जानी चाहिए।
भदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि संवर्धन प्रतिष्ठान भिक्खुओं के माध्यम से ही विहारों में निवाररत भिक्खुओं को पालि आदि का प्रशिक्षण प्रदान करेंगे। इससे भिक्खु समधिक शिक्षित, ज्ञान-सम्पन्न तथा तकनीकी ज्ञान से परिपूर्ण होंगे, जिससे निश्चय ही विश्व के बौद्ध-समुदाय के साथ हम भी कदम-ताल मिला पायेंगे। आज बुद्ध-आंबेडकर के अन्ध-भक्तों की अपेक्षा प्रज्ञावान् भिक्खुओं व अनुयायियों की कई अधिक आवश्यकता है। ज्ञान-सम्पन्न भिक्खुओं और समाज के शिक्षित युवाओं द्वारा विहारों के माध्यम से पालि के साथ-साथ कम्प्युटर-टाइपिंग, पत्राकारिता, राजनीति, समाजदर्शन, अध्यात्म तथा अंग्रेजी जैसे तमाम समसामयिक और प्राचीन तथा तकनीकी विषयों का अध्यापन किया जाना चाहिए। आधुनिक काल के अनुरूप प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए भी विहारों में कक्षाएँ आयोजित की जा सकती है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Search
Popular Posts
-
* World Pali Pride Day * One day online Pali discussion session organized on this occasion (Webinar) * Topic :- Contribution of Anagarik D...
-
पालि-पक्खुस्सवो (पालि-पक्षोत्सव) Pali-fortnight -------------- 17 सितम्बर, 2020 से 01 अक्टूबर, 2020 .........................................
-
पालि सीखों टेलीग्राम से (Learn Pali through Telegram) अब आप घर बैठे पालि भाषा सीख सकते हैं. Virtual Learning या Online Learning के अंतर्गत...
Recent Posts
Sample Text
Blog Archive
-
▼
2020
(31)
-
▼
04/19
(8)
- भदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि-संवर्धन-प्रतिष्ठान का प...
- प्रमुख गतिविधियाँ एवं कार्यक्रम
- धम्म-पालि-अज्झयनसाला
- विहारों को शिक्षा के केन्द्र के रूप में विकसित करना-
- धम्म-पालि-शिक्षक-प्रशिक्षण-अध्ययनशालाओं का समायोजन-
- पालि कार्यक्रमों का आयोजन-
- पालि शिक्षण चैनल
- पालि-संवादो (पालि-पत्तिका) Pali-samvado (a Pali Ma...
-
▼
04/19
(8)
Search This Blog
Powered by Blogger.
रजिस्ट्रेशन-फॉर्म "पालि-संस्कृति-पर्व" (25 सितम्बर, 2020)
रजिस्ट्रेशन-फॉर्म "पालि-संस्कृति-पर्व" (25 सितम्बर, 2020) ---------------------------------------------- 25 सितम्बर, 2020 -10.00...
0 comments:
Post a Comment