Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation

पठमो पाठो
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आदिकं किञ्चि
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आदरणीय महानुभावो एवं मित्रो!
विनम्र अभिवादन,

‘‘पालि भाषा शिक्षण के इस उपक्रम में आपका हार्दिक स्वागत है।’’

ऑनलाइन पाली शिक्षण के माध्यम से आप घर में रहते हुए हम अपनी ऊर्जा का प्रयोग पालि शिक्षण, ध्यान और अध्ययन में कर सकते हैं तथा नया ज्ञान अर्जित कर सकते हैं या अपने ज्ञान को परिपक्व कर सकते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस वर्चुअल या ऑनलाइन पालि शिक्षण का क्रम शुरू किया जा रहा है। आप आशा और विश्वास रखें कि आप में से जो भी पालि सीखना चाहते हैं, वे इन 20-25 दोनों में अवश्य ही पालि में परिपूर्ण ज्ञान अर्जित कर पायेंगे। इस हेतु आपसे मेरी केवल एक ही गुजारिश है और इसके लिए सबसे आवश्यक भी है, वह है--धैर्य। आप धैर्य धारण करते हुए धीरे-धीरे पालि का अध्ययन शुरू करें और मात्रा 20-25 दिनों में निम्नोक्त विषयों को जान पायेंगे तथा लाभान्वित होंगे-

- आप 20,000 से अधिक नवीन पालि के शब्द तथा उनका अर्थ को जान पायेंगे।
- 20,000 से अधिक नवीन पालि शब्दों का सभी विभक्तियों में शुद्ध और समुचित प्रयोग करने में सक्षम हो जायेंगे।
- पालि व्याकरण तथा भाषा-विज्ञान की बारीकियों और प्रयोग से सुपरिचित तथा दक्षता प्राप्त कर पायेंगे।
- 200 से अधिक धातुओं (क्रियापदों) का विविध कालों में सहजता और सरलता से प्रयोग करने में समर्थ हो जायेंगे।
- 10,000 से अधिक पालि वाक्यों को स्वयं बना पायेंगे और इसके पश्चात अनेक वाक्यों का निर्माण कर पायेंगे।
- पालि वन्दना, परित्त-पाठ तथा प्रातःकालीन वन्दना में संगायित गाथाओं या सुत्तों का बिना किसी अनुवाद के सीधे समझने में दक्षता प्राप्त कर लेंगे।
- पालि-भाषा में बातचीत कर पायेंगे तथा अपने मनोभावों और भावनाओं को प्रभावी तरीके से अभिव्यक्त करने में सक्षम हो सकेंगे।

किन्तु उक्त में सबसे बड़ा लाभ आपका ये होगा कि आप भगवान् बुद्ध की कल्याणकारी शिक्षाओं को समझने हेतु पालि-शिक्षण का एक मार्ग प्राप्त कर लेंगे। इसी प्रकार धीरे-धीरे कार्य करते रहे, तो आप पालि भाषा तथा परियत्ति मार्ग में आगे बढ़ पायेंगे।

भगवान् बुद्ध के वचनों का रक्षण-पोषण करने के कारण इस भाषा को ‘पालि’ कहा जाता है। इसी कारण यह उनके वचनों की मां है। इस मायने यह हमारी भी मां है। इसकी रक्षा और पालन-पोषण हमारी सबकी संयुक्त जिम्मेदारी है। अतः हमें पालि का शिक्षण, प्रचार-प्रसार, अनुसन्धान और संवर्धन अवश्य ही करना चाहिए।

शीघ्र ही विविध माध्यमों से मैं आपसे सम्पर्क करुंगा। वह लाइव फेसबुक हो सकता है अथवा व्हाटस्अप हो सकता है या वीडियोज हो सकते हैं या शिक्षण हेतु चित्र, रेखाचित्र, वाक्यमाला, पीडीएफ फाईल्स हो सकती हैं। मेरा लक्ष्य आपसे संवाद स्थापित करते हुए पालि सीखाना है। इसमें मैं प्रत्येक सदस्य से संवाद स्थापित करना चाहूँगा किन्तु आप धैर्य तथा समझदारी का परिचय दें।
हम यहाँ पालि भाषा का शिक्षण प्रदान करेंगे। इस शिक्षण के दौरान न तो पालि-साहित्य का इतिहास पढ़ाया जायेगा, ना ही इसकी प्राचीनता-नवीनता के चर्चे होंगे। इसमें दार्शनिक चर्चा भी नहीं होगी। अतः आप केवल और केवल पालि के व्याकरणांशों को सीखने का धैर्यपूर्वक प्रयास करें और इसे दूसरों तक भी पहुँचायें।

सफलता मिलेगी ही...

आपका
- डॉ. प्रफुल्ल गड़पाल
8126485505

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