Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation

Saturday 25 April 2020

On April 25, 2020 by Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation   No comments
पालि कार्यक्रमों का आयोजन-
8.1 धम्मपदुस्सवो (धम्मपदोत्सव) का आयोजन करनाµभदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि संवर्धन प्रतिष्ठान तथा इससे सम्बद्ध सभी जिला तथा तहसील ईकाइयों द्वारा फाल्गुन पूर्णिमा के अवसर पर प्रतिवर्ष ‘धम्मपदोत्सव’ का आयोजन किया जायेगा। ‘धम्मपद’ बौद्धधम्म का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसे धम्म का प्रतिनिधि ग्रन्थ माना जाता है। विश्व की लगभग समस्त महत्त्वपूर्ण भाषाओं में इसका अनुवाद किया जा चुका है। सम्पूर्ण विश्व में इस ग्रन्थ के प्रति अत्यन्त सम्मान तथा श्रद्धाभाव है। अतः धम्मपद के इस महत्त्व को दृष्टिगत रखते हुए ‘धम्मपदोत्सव’ के अवसर पर धम्मपद का वाचन तथा इसके विविध पहलुओं पर गहन परिचर्चा तथा संगोष्ठियाँ आयोजित की जा सकती है। इस दिन छात्रा-छात्राओं हेतु धम्मपद के विषय में विविध-प्रतियोगिताएँ भी आयोजित की जा सकती हैं।
8.2 अन्तर्राष्ट्रीय-पालि दिवस (प्दजमतदंजपवदंस च्ंसप क्ंल) का आयोजन करनाµभदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि संवर्धन प्रतिष्ठान द्वारा भारत में बौद्ध-धम्म के पुनर्जागरण में श्रेष्ठ भूमिका निभाने वाले तथा अनेक पालि ग्रन्थों के लेखक तिपिटकाचार्य भदन्त धम्मरक्खित जी की जयन्ती के अवसर पर 1 अपै्रल को प्रतिवर्ष ‘अन्तर्राष्ट्रीय-पालि दिवस’ का आयोजन संस्थान के द्वारा किया जायेगा।
8.3 विशिष्ट पालि सेवा सम्मान प्रदान करनाµपालि भाषा के उन्नयन तथा विकास के लिए कार्य करने वाले मनीषियों के लिए संस्थान के द्वारा प्रतिवर्ष 3 (तीन) पुरस्कार प्रदान किये जाने चाहिए। पुरस्कारों का विवरण इस प्रकार हो सकता हैµ
(1) पालि के संवर्धन में ताउम्र महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करने वाले एक वरिष्ठ (60 वर्ष से अधिक उम्र वाले) भारतीय विद्वान्,
(2) पालि-क्षेत्रा में महत्त्वपूर्ण योगदान, शोध तथा प्रचार-प्रसार में योगदान करने वाले एक युवा (30 से 40 वर्ष की उम्र वाले) भारतीय विद्वान् तथा
(3) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पालि भाषा के उन्नयन, शोध तथा प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण योगदान करने वाले (50 वर्ष से अधिक उम्र वाले) अन्तर्राष्ट्रीय विद्वान्।
संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष ‘अन्तर्राष्ट्रीय पालि दिवस’ (प्दजमतदंजपवदंस च्ंसप क्ंल) के अवसर पर उक्त प्रकार से पालि-क्षेत्रा में विशिष्ट भूमिका निभाने वाले तीन विद्वानां को सम्मानित किया जा सकता है। इस हेतु प्रशस्ति पत्रा, शाॅल तथा नकद राशि भी उन्हें प्रदान की जा सकती है।
8.4 पालि पखवाड़े (च्ंसप वितजदपहीज) का आयोजन करनाµपालि-पखवाड़े का आयोजन पालि के प्रचार-प्रसार तथा संवर्धन में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकता है। अतः प्रतिवर्ष देवमित्त अनागारिक धम्मपाल की जयन्ती के अवसर पर 17 सितम्बर को ‘विस्स-पालि-भासा-गारव-दिवसो’ (विश्व पालि-भाषा गौरव दिवस) से आरम्भ कर पालि पखवाड़े का आयोजन किया जा सकता है। यह पालि पखवाड़ा प्रतिवर्ष दिनाँक 17 सितम्बर से 1 अक्टूबर तक आयोजित किया जा सकता है। संस्थान अपने स्तर पर पालि पखवाड़े को आयोजित करने के लिए लोगों तथा सामाजिक संस्थाओं को अभिप्रेरित भी कर सकता है।
8.5 पालि स्पर्धाओं (च्ंसप ब्वउचमजपजपवदे) का आयोजन करनाµसंस्थान के द्वारा प्रतिवर्ष अक्टूबर-नवम्बर माह में पालि स्पर्धाओं का आयोजन किया जा सकता है। इस हेतु राष्ट्र-स्तर पर चार स्तरों (कक्षा 6-8, कक्षा 9-12, स्नातक तथा स्नातकोत्तर) पर तिपिटक के ग्रन्थों के पाठ्यों का स्मरण-शक्ति के आधार पर कण्ठपाठ-स्पर्धा, भाषण-स्पर्धा तथा व्याख्या-स्पर्धाएँ कराई जा सकती हैं। इन स्पर्धाओं में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान पाने वाले विजेताओं को स्वर्ण-पदक, रजत पदक तथा कांस्य पदक सहित क्रमशः रू. 20,000, रू.15,000 तथा रू. 10,000 से सम्मानित किया जा सकता है। इन स्पर्धाओं के आयोजन से पालि भाषा शीघ्र ही युवाओं तथा बच्चों का प्रिय विषय बन जायेगा तथा पालि में उपस्थित नैतिक-शिक्षा से उन्हें जीवन में करणीय-अकरणीय का मार्गदर्शन प्राप्त होगा।
8.6 पालि नाट्य-महोत्सव (च्ंसप क्तंउं थ्मेजपअंस) का आयोजन करनाµमनुष्य स्वभावतः उत्सव तथा मनोरंजन के साधनों के प्रति आरम्भ से ही आकर्षित रहा है। मनोरंजन के साधनों में साहित्य तथा कला ने अपना एक विशेष स्थान बनाया हुआ है। साहित्य तथा कला के द्वारा मनुष्य का न केवल मनोरंजन ही होता है, अपितु वह इससे सुन्दर ढंग से शिक्षा भी प्राप्त करता है। इस तरह साहित्य मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा का भी उत्तम स्रोत है।
साहित्य में नाट्य-विधा एक महत्त्वपूर्ण विधा है। साहित्य की समस्त विधाओं का आनन्द हम उसे पढ़कर या सुनकर ही ले सकते हैं, किन्तु नाट्य-विधा में हम उसे देख भी सकते हैं। इस प्रकार नाट्य या नाटक देखे व सुने जा सकते हैं। प्रायः देखे हुए दृश्यों की मानव-हृदय पर अमिट छाप पड़ जाती है। अतः पालि साहित्य में भी ऐसे नाट्य-प्रयोग किये जा सकते हैं।
पालि साहित्य में एक प्रकार से ऐसे प्रयोग सर्वथा नवीन ही होंगे, क्योंकि मूल पालि साहित्य में कोई नाटक उपलब्ध नहीं होता। हाँ, नाटकीयता लिए ही अनेक प्रसंग यहाँ अवश्य प्राप्त होते हैं। जो हो, आधुनिक समय में पालि में नाटक लिखे तथा मंचित किये जा सकते हैं तथा उनके व्यवसायिक प्रयोग भी किये जा सकते हैं। अतः संस्थान के द्वारा प्रतिवर्ष पृथक्-पृथक् नगरों में तीन दिवसीय ‘पालि नाट्य-महोत्सव’ के आयोजन की संकल्पना की जानी चाहिए। इस प्रयोग से संस्थान की ख्याति देश-विदेश में प्रसारित होगी। यह कार्यक्रम नवम्बर माह में किया जायेगा।
8.7 विशिष्ट पालि व्याख्यानमाला (ैचमबपंस समबजनतम ेमतपमे वद च्ंसप) का आयोजन करनाµसंस्थान के द्वारा प्रतिवर्ष किसी विशेष अवसर पर पालि के वरिष्ठ विद्वान् द्वारा संस्थान परिसर में विशिष्ट पालि व्याख्यानमाला का आयोजन कराया जा सकता है। इसके अतिरिक्त देश के विभिन्न नगरों में विशिष्ट पालि व्याख्यानमाला के आयोजन किये जा सकते हैं अथवा आयोजन के लिए विभिन्न संस्थाओं को वित्तीय सहायता भी प्रदान की जा सकती है। यह कार्यक्रम जनवरी-फरवरी माह में किया जायेगा।

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