Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation

चतुत्थो पाठो

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आदरणीय महानुभावो एवं मित्रो!
नमो बुद्धाय!
हार्दिक स्वागत तथा वन्दन।
अब तक आपने निम्नोक्त विषयों को जाना है-
1. मम नाम .................. (मेरा नाम ........................)
2. भवन्तस्स नाम ..................... (आपका नाम ...................) - पुरुष-जाति के लिए
3. भोतिया नाम ................ (आपका नाम ..........................) - स्त्री-जाति के लिए
4. भवन्तस्स नाम किं? (आपका नाम क्या है?)
5. भोतिया नाम किं? (आपका नाम क्या है?)
ध्यान रखें अनुस्वार ( ं या निग्गहित या बिन्दु) का उच्चारण संस्कृत के ‘म्’ या ( ं ) की तरह न हो यानि अन्त में ‘आधे म’ का उच्चारण नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि ( ं ग् ) की तरह उच्चारण किया जाना चाहिए। इस हेतु संलग्न आॅडियो सुने।
वस्तुतः पालि शिक्षण का यह चौथा पाठ प्रस्तुत करते हुए बहुत प्रसन्नता हो रही है। देशभर से बड़ी संख्या में लोगों का प्रतिसाद प्राप्त हो रहा है। इस शिक्षण उपक्रम के द्वारा यह सिद्ध हो चुका है कि आज देश में पालि पढ़ने के इच्छुकों की संख्या बहुत अधिक है। पालि संवर्धन प्रतिश्ठान के विभिन्न व्हाटस्अप ग्रुप्स तथा फेसबुक के माध्यम से बहुत सारे जिज्ञासुओं तथा पालि-शिक्षणार्थियों ने इसे बड़ी ही प्रसन्नता से स्वीकार किया है। किन्तु एक खेद भी व्यक्त करना चाहता हूँ कि बहुत सारे लोगों में पालि सीखने की इच्छा तो हैं, किन्तु वस्तुतः बिना पढ़े ही वे पालि सीख जाना चाहते हैं; ऐसा कदापि सम्भव नहीं है। बिना पढ़े या बिना अभ्यास किये कोई भाषा सीखी नहीं जा सकती है। इन छोटी-छोटी पोस्ट्स को आप ध्यानपूर्वक पढ़े तथा समझकर फिर उत्तर दें। आपसे निवेदन करना चाहते हैं कि कृपया प्रत्येक बार-बार पढ़कर विषय को स्पष्ट करने का प्रयास करें। इसके पश्चात् ही आप कमेंट करके पूछे गये विषय या अभ्यास को कमेंट में लिखें। ध्यानपूर्वक पढ़ना तथा ध्यानपूर्वक सुनना बहुत आवश्यक है। आज हमारी आदत बिना पढ़े ही, बिना समझे ही कमेंट करने की हो चुकी है। याद कीजिये ‘थ्री इडियट’ के उस दृश्य की; जिसमें नायक (आमिर खान) कक्षा में प्रोफेसर के कहें जाने पर ब्लैकबोर्ड पर कोई शब्द लिखकर प्रश्न पूछता है। वहाँ उपस्थित छात्र बिना विषय को समझे ही पुस्तक में उसका उत्तर ढूँढने लगते हैं। आप ऐसा न करें। बिना ठीक से पोस्ट को पढ़े, कोई कमेंट न करें। यदि समझ में नहीं आता, तो ग्रुप में ही जिज्ञासा प्रकट करें। इससे दूसरों का भी लाभ होगा। यदि कोई व्यक्तिगत कठिनाई हो तो सीधे भी सम्पर्क किया जा सकता है। इस कार्य में अनुज ‘आषीश गड़पाल’ भी आपका यथोचित मार्गदर्शन करेंगे।
भगवान् बुद्ध ने ठीक से अध्ययन करने को ‘उत्तम मंगल’ कहा है-
‘बाहुसच्चं च सिप्पं च’ (अर्थात् बहुश्रुत होना, धम्मग्रन्थों का ज्ञान प्राप्त करना तथा शिल्प सीखना उत्तम-मंगल है।)
उस समय श्रुत-परम्परा होने के कारण सुनने से ही अध्ययन होता था, किन्तु आज सुनने के साथ पढ़ना भी पढ़ता है। अतः आप ध्यानपूर्वक पालि सीखें तथा प्रत्येक सदस्य पोस्ट को पढ़कर कमेंट अवश्य करें, ताकि यह जाना जा सकें कि आप विषय को मनःसात् कर पा रहे हैं।
अहं
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इसके पश्चात् आप पालि में परिचय के एक और प्रकार को सीखेंगे। जैसे-
अहं पप्फुलो (मैं प्रफुल्ल)
यहाँ ‘अहं’ का अर्थ है ‘मैं’।
इसी के आधार पर आप अपना परिचय एक बार पुनः प्रदान करें। जैसे-
अहं आसीसो
अहं हस्सवड्ढनो
अहं पेमजि
अहं भिक्खु संघानन्दो
अहं मोबिनो
अहं असोको
अहं रवि ............... इत्यादि।
स्त्रीवर्ग भी इसी प्रकार परिचय दें। जैसे-
अहं पीति
अहं पूजा
अहं सरणा
अहं संघमित्ता
अहं रोझा ............ इत्यादि।
यह भी ध्यान रखें कि आपसे बीच-बीच में कुछ प्रश्न पूछे जायेंगे। तो आप उनका उत्तर ‘अहं ......................’ इस प्रकार दें। प्रश्न केवल दो ही होंगे, जो इस प्रकार हैं-
1. भवं को? (आप कौन?) पुरुष-वर्ग के लिए
2. भोति का? (आप कौन?) स्त्री-वर्ग के लिए
आप अपनी फोटो पोस्ट करें और नीचे लिखें-
अहं ....…............
कुछ चित्र भी आपको पोस्ट किये जा रहे हैं। इन्हें भी ध्यानपूर्वक देखें और विषय को समझने का प्रयास करें। पूरे शिक्षण की यह एक महत्त्वपूर्ण सीढ़ी है, यह ध्यान रखें।
कृपया ग्रुप में कोई बाहरी पोस्ट न डालें, न शेयर करें।
!!! भवतु सब्बमंगलं !!!
सबका मंगल हो
साधुवादो
- डा. पप्फुल्ल-गडपालो
8126485505






































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