Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation

(iv) पालि-विदु-पाठचरिया 
(पालि-विदु-पाठ्यक्रम/Pali learned Course)

पालि-शिक्षण का यह चरण एक अतीव महत्त्वपूर्ण चरण होगा। इसके अन्तर्गत पालि-तिपिटक में उपस्थित महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों के आधार पर पालि का शिक्षण किया जायेगा। इस हेतु सर्वप्रथम महांवस तथा महावंसटीका के कुछ अंशों का शिक्षण किया जायेगा। पालि-वाङ््मय में महावंस एक अतीव सरल, रुचिकर तथा उत्तम काव्य है। इसके पश्चात् जातक सहित जातकट्ठकथा के अंशों का शिक्षण किया जायेगा। तत्पश्चात् धम्मपद सहित धम्मपदट्ठकथा तथा सुत्त-निपात के अंशों के आधार पर कुछ अंशों का शिक्षण किया जायेगा। वस्तुतः उक्त ग्रन्थों में आये हुए व्याकरणांशों के आधार पर मूल-पाठ्य का अर्थ समझाने तथा ऐसे ही अंशों के अभ्यास द्वारा नूतन साहित्य सर्जन करने का अभ्यास कराया जायेगा।

इसके अन्तर्गत प्रत्येक गाथा का शिक्षण निम्नोक्त क्रम में किया जायेगा -
(1) मूल-गाथा,
(2) पदच्छिदो/पदच्छेद,
(3) पद-परिचयो,
(4) पदञ्चय-योजना/अन्वय,
(5) पदत्थो/पदार्थ (पालि, हिन्दी एवं अंग्रेजी में)
इसके पश्चात् तीन भाषाओं (पालि, हिन्दी तथा अंग्रेजी) में भावार्थ उपस्थापित किया जायेगा।

प्रत्येक पाठ के अन्त में सरल ‘अभ्यास’ के द्वारा अध्येता पालि गाथा में आये हुए व्याकरणांशों का शिक्षण प्रदान किया जायेगा, जिससे अध्येता गहराई तक पालि की गाथाओं (पज्ज/पद्य) को समझ सके। इसी क्रम में पालि-छन्दों के विषय में आवश्यक तथा व्यवहारिक जानकारी भी प्रदान की जायेगी। इसी तरह पालि के गद्यों के विषय में आवश्यक तथा मौलिक जानकारी प्रदान की जायेगी। इस प्रकार आभ्यासिक अंशों के द्वारा उसके ज्ञान को परिपुष्ट और सुस्थिर करने का प्रयास किया जायेगा।

इसका उद्देश्य उच्च-स्तरीय पालि शिक्षण द्वारा पालि तिपिटक में आने वाले गम्भीर गद्य-पद्य-मय साहित्य को समझने तथा अनुवाद की क्षमता का विकास करना होगा। यह चरण पालि-शिक्षण के क्रम में विशेष महत्त्व का चरण होगा। पालि-वाङ््मय में विद्यमान तिपिटक तथा तिपिटकेतर साहित्य के व्याकरणांशों एवं साहित्यांशों को अध्यापित करते हुए इस चरण में अध्येता को पालि-साहित्य विशेषतः अट्ठकथाओं के अनुवाद, भाष्य-लेखन तथा नव-सृजन के लिए तैयार किया जायेगा।

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