Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation

(i) पालि-वोहार-पाठचरिया 
(पालि-व्यवहार-पाठ्यक्रम/Applied Pali Course)

इस चरण के अन्तर्गत पालि को अत्यन्त सरल तरीके से सीखाने हेतु पाठ्य-सामग्री तैयार की जायेगी। पालि के आरम्भिक व्याकरण का उदाहरण-शैली में चित्रों की सहायता से शिक्षण किया जायेगा। इसमें अकारान्त पुल्लिंग, आकारान्त इत्थिलिंग तथा अकारान्त नपुंसकलिंग शब्दों का प्रथमतया शिक्षण किया जायेगा। इसमें पालि-शब्दों की विभक्तियों का प्रयोगात्मक तथा तिपिटक-शिक्षण-परक दृष्टि से शिक्षण किया जायेगा। इसके साथ ही साथ तीनों कालों यानि पचुपन्नकालो (वत्तमानकालो), अतीतकालो (भूतकालो) तथा अनागतकालो (भविस्सकालो) का इसमें शिक्षण किया जायेगा।

क्रियापदों के पञ्चमी तथा सत्तमी रूपों का प्रयोग भी इस पाठ्यक्रम के अन्तर्गत सिखाया जायेगा। इस भाग में सभी विभक्तियों, विशिष्ट प्रत्ययों, महत्त्वपूर्ण अव्ययों, सब्बनाम-शब्दों, तीनों लिंगों, तीनों पुरिसों तथा दोनों वचनों का भी शिक्षण प्रयोगात्मक तथा तिपिटक अवबोध् की दृष्टि से किया जायेगा। प्रत्येक पाठ के अन्त में सरल ‘अभ्यास’ के द्वारा अध्येता के ज्ञान को परिपुष्ट और सुस्थिर करने का प्रयास किया जायेगा। 

इसका उद्देश्य दैनिकोपयोगी वाक्यों, क्रियारूपों तथा शब्दों के शिक्षण सहित सरल पालि गाथाओं एवं सुत्तों को समझने एवं पालि बोलने, लिखने, पढ़ने तथा समझने की क्षमता का विकास करना होगा।

0 comments:

Post a Comment