Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation

  • -- Pali is a Sweet, Beautiful and Easy language. -- अहं वदामि पालिभासं. -- Pali is my Pride. --

Monday 7 September 2020

On September 07, 2020 by Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation   No comments

 रजिस्ट्रेशन-फॉर्म "पालि-संस्कृति-पर्व" (25 सितम्बर, 2020)

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25 सितम्बर, 2020 -10.00 बजे से 01.00 बजे तक तथा 3.00 बजे से 6.00 बजे तक-
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भारतीय संस्कृति के अन्तर्गत श्रमण-संस्कृति का विशेष स्थान है तथा श्रमण-संस्कृति में भी बुद्ध-संस्कृति एक अत्यन्त पावन संस्कृति है। तथागत भगवान् बुद्ध का शील, समाधि और प्रज्ञा का यह मार्ग सबके हित-सुख की संस्कृति का निनाद करता हुआ सदियों से मैत्री, करुणा, मुदिता और उपेक्षा की शीतल वर्षा करता आ रहा है। आज विपस्सना ध्यान-भावना तथा सामाजिक-प्रासंगिकता के कारण भगवान् बुद्ध की मानवीय एवं कल्याणकारी शिक्षाएं जन-जन में प्रसारित हो रही हैं। तथागत भगवान् बुद्ध की ये शिक्षाएं पालि-भाषा में उपलब्ध होती हैं तथा चारों परिषदों के लिए इसका समान महत्त्व प्रतीत होता है।
तथागत भगवान् गौतम बुद्ध के पावन श्रावक संघ अर्थात् भिक्खु-संघ तथा भिक्खुणी-संघ में पालि भाषा के अध्ययन तथा इसमें उपनिबद्ध सुत्तों के संगायन की सुदीर्घ परम्परा है। इसी प्रकार उपासक-संघ तथा उपासिका-संघ के लिए भी इस भाषा तथा सुत्तों का संगायन आवश्यक है। यद्यपि यह परम्परा भारत में सुदीर्घ-काल तक लुप्तप्राय हो चुकी थी तथा इस धीरे-धीरे पुनः प्रतिष्ठापित हो रही है। अतः इसे संस्थापित करने तथा उपासक-उपासिकाओं में प्रसारित करने हेतु भदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि संवर्धन प्रतिष्ठान के द्वारा 17 सितम्बर, 2020 से 01 अक्टूबर, 2020 तक आयोजित किये जा रहे पालि-पखवाड़ा 2020 के अन्तर्गत ‘पालि-संस्कृति-पर्व’ का आयोजन किया जा रहा है।
दिनांक - 25 सितम्बर, 2020
समय - प्रातः 10.00 बजे से 01.00 बजे तथा अपराह्ण 03.00 बजे से 06.00 बजे।
पालि-संस्कृति-पर्व में निम्नोक्त प्रतियोगिताएं आयोजित की जायेंगी-
विधा - विषय/शीर्षक
1. पालि-रंगोळिका - महाबोधि-रुक्खो (महाबोधि-वृक्ष)
2. पालि पेंटिंग/चित्रकला - पठमं धम्मचक्कप्पवत्तनं (प्रथम धर्मचक्र प्रवर्तन)
3. पालि संगीत वादन - स्वयं वाद्यों को बजाकर धम्म सम्बन्धी संगीत-प्रदर्शन
4. धम्म-पालि गीत/कविता - मैत्री सम्पूर्ण धम्म है
5. धम्म-पालि निबन्ध-लेखन - भगवान् बुद्ध का जीवन परिचय
6. नृत्य - सुजाता का सिद्धार्थ गौतम को खीर-दान
7. धम्म-फोटोग्राफी - घर में बुद्ध-पूजा
8. धम्म-पालि शार्ट-मूवी - आओ पालि सीखें
9. धम्म-पालि सृजनात्मक लेखन - बुद्ध के अग्रश्रावक (किसी एक की कथा)
10. धम्म-पालि लघुकथा लेखन - बुद्ध संघ की थेरी (कोई एक)
उक्त विषय में अधिक जानकारी तथा लिंक नीचे दिये गये टेलीग्राम ग्रुप पर दी जायेगी। अतः आप टेलीग्राम एप डाउनलोड करके नीचे दी गई लिंक से जुड़ने का कष्ट करें-
सभी प्रतियोगिताएँ जूम, गूगल मीट, टेलीग्राम, व्हाट्स-अप, गूगल फार्म इत्यादि के माध्यम से आयोजित की जायेंगी।
समस्त प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया जायेगा तथा समस्त प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र प्रदान किया जायेगा।
नोट-
1. प्रति प्रतियोगिता के नियम और निर्देश पृथक से प्रदान किये जायेंगे।
2. सभी को एक लिंक के माध्यम से नीचे दिये फॉर्म से रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक होगा।
3. प्रतियोगिताओं की लिंक बाद में उसी समय बताई जायेगी।
4. सभी को टेलीग्राम एप डाउनलोड करके ‘पालि-पखवाड़ा 2020 (प्रतियोगिता)’ ग्रुप की निम्नोक्त लिंक से जुड़ना आवश्यक है-
5. प्रतिभागिता-प्रमाण-पत्र के लिये ई-मेल (E-mail) प्रविष्ट करना आवश्यक है।
पालि-संस्कृति-पर्व" (25 सितम्बर, 2020) में भागग्रहण करने हेतु नीचे दी गई लिंक का प्रयोग करें-

- संयोजक तथा पालिमित्र
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डाॅ. प्रफुल्ल गड़पाल - 81264 85505
डाॅ. विकास सिंह - 97115 70933
सुगत शान्तेय - 86050 27358
डाॅ. रमेश रोहित - 88399 73215
प्रा. राजेन्द्र प्रसाद - 99298 42897
इंजी. भारत वनकर - 94040 79692
अरविन्द भण्डारे - 99676 92014
डाॅ. संघप्रकाश दुड्डे - 97669 97174
आशीष गड़पाल - 88398 71961
अमित मेधावी - 97643 46793
विशाखानन्द बंसोड़ - 88008 64831




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 रजिस्ट्रेशन-फॉर्म ‘पालि-प्रतियोगिता’ (22-24 सितम्बर, 2020 )

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भदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि संवर्धन प्रतिष्ठान तथा इसके सहकारी संगठनों द्वारा ‘पालि-पखवाड़ा’ उत्सव मनाया जा रहा है। पालि-पखवाड़ा वस्तुतः एक पालि-उत्सव है तथा इसके अन्तर्गत बच्चों में नैतिक-शिक्षा का प्रसार करने की दृष्टि से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाने सुनिश्चित किये गये हैं। उनमें 22-24 सितम्बर, 2020 की अवधि में बच्चों के लिए ‘पालि-प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत तीन वर्गों में विविध प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। माध्यमिक स्तर, हाई स्कूल/हायर सेकेण्डरी स्कूल तथा स्नातक/स्नातकोत्तर के इन तीन स्तरों में पालि-गीत, पालि-कविता-पाठ, पालि-निबन्ध-लेखन, भाषण, श्रुत-लेखन, परिचय-लेखन-स्पर्धा, परिचय-कथन-स्पर्धा, संगायन, पालि-ज्ञान-प्रतियोगिता, धम्म-पालि-प्रश्नावली, चित्रकला और रंग भरो प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जायेगा।
कोरोना के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जूम एप के माध्यम से यह पालि-पखवाड़ा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जा रहा है। सभी प्रतियोगिताएँ जूम, गूगल मीट, टेलीग्राम, व्हाट्स-अप, गूगल फार्म इत्यादि के माध्यम से आयोजित की जायेंगी। समस्त प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया जायेगा तथा समस्त प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र प्रदान किया जायेगा।
नोट-
1. प्रति प्रतियोगिता के नियम और निर्देश पृथक से प्रदान किये जायेंगे।
2. सभी को लिंक के माध्यम से नीचे दिये फॉर्म से रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक होगा।
3. प्रतियोगिताओं की लिंक बाद में उसी समय बताई जायेगी।
4. सभी को टेलीग्राम एप डाउनलोड करके ‘पालि-पखवाड़ा 2020 (प्रतियोगिता)’ ग्रुप की निम्नोक्त लिंक से जुड़ना आवश्यक है-
5. प्रतिभागिता-प्रमाण-पत्र के लिये ई-मेल (E-mail) प्रविष्ट करना आवश्यक है।
पालि-प्रतियोगिता में भागग्रहण करने हेतु नीचे दी गई लिंक का प्रयोग करें-
- संयोजक तथा पालिमित्र








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 पालि-संस्कृति-पर्व

25 सितम्बर, 2020
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भारतीय संस्कृति के अन्तर्गत श्रमण-संस्कृति का विशेष स्थान है तथा श्रमण-संस्कृति में भी बुद्ध-संस्कृति एक अत्यन्त पावन संस्कृति है। तथागत भगवान् बुद्ध का शील, समाधि और प्रज्ञा का यह मार्ग सबके हित-सुख की संस्कृति का निनाद करता हुआ सदियों से मैत्री, करुणा, मुदिता और उपेक्षा की शीतल वर्षा करता आ रहा है। आज विपस्सना ध्यान-भावना तथा सामाजिक-प्रासंगिकता के कारण भगवान् बुद्ध की मानवीय एवं कल्याणकारी शिक्षाएं जन-जन में प्रसारित हो रही हैं। तथागत भगवान् बुद्ध की ये शिक्षाएं पालि-भाषा में उपलब्ध होती हैं तथा चारों परिषदों के लिए इसका समान महत्त्व प्रतीत होता है।

तथागत भगवान् गौतम बुद्ध के पावन श्रावक संघ अर्थात् भिक्खु-संघ तथा भिक्खुणी-संघ में पालि भाषा के अध्ययन तथा इसमें उपनिबद्ध सुत्तों के संगायन की सुदीर्घ परम्परा है। इसी प्रकार उपासक-संघ तथा उपासिका-संघ के लिए भी इस भाषा तथा सुत्तों का संगायन आवश्यक है। यद्यपि यह परम्परा भारत में सुदीर्घ-काल तक लुप्तप्राय हो चुकी थी तथा इस धीरे-धीरे पुनः प्रतिष्ठापित हो रही है। अतः इसे संस्थापित करने तथा उपासक-उपासिकाओं में प्रसारित करने हेतु भदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि संवर्धन प्रतिष्ठान के द्वारा 17 सितम्बर, 2020 से 01 अक्टूबर, 2020 तक आयोजित किये जा रहे पालि-पखवाड़ा 2020 के अन्तर्गत ‘पालि-संस्कृति-पर्व’ का आयोजन किया जा रहा है।


दिनांक - 25 सितम्बर, 2020
समय - प्रातः 10.00 बजे से 01.00 बजे तथा अपराह्ण 03.00 बजे से 06.00 बजे।


पालि-संस्कृति-पर्व में निम्नोक्त प्रतियोगिताएं आयोजित की जायेंगी-

विधा - विषय/शीर्षक
1. पालि-रंगोळिका - महाबोधि-रुक्खो (महाबोधि-वृक्ष)
2. पालि पेंटिंग/चित्रकला - पठमं धम्मचक्कप्पवत्तनं (प्रथम धर्मचक्र प्रवर्तन)
3. पालि संगीत वादन - स्वयं वाद्यों को बजाकर धम्म सम्बन्धी संगीत-प्रदर्शन
4. धम्म-पालि गीत/कविता - मैत्री सम्पूर्ण धम्म है
5. धम्म-पालि निबन्ध-लेखन - भगवान् बुद्ध का जीवन परिचय
6. नृत्य - सुजाता का सिद्धार्थ गौतम को खीर-दान
7. धम्म-फोटोग्राफी - घर में बुद्ध-पूजा
8. धम्म-पालि शार्ट-मूवी - आओ पालि सीखें
9. धम्म-पालि सृजनात्मक लेखन - बुद्ध के अग्रश्रावक (किसी एक की कथा)
10. धम्म-पालि लघुकथा लेखन - बुद्ध संघ की थेरी (कोई एक)


उक्त विषय में अधिक जानकारी तथा लिंक नीचे दिये गये टेलीग्राम ग्रुप पर दी जायेगी। अतः आप टेलीग्राम एप डाउनलोड करके नीचे दी गई लिंक से जुड़ने का कष्ट करें-




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 पालि-शिक्षक सम्मेलन (24 सितम्बर, 2020)




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पालि-विभाग-प्रमुखों का सम्मलेन

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23 सितम्बर, 2020

"पालि भाषा का महत्त्व और वर्त्तमान-कालिक प्रासंगिकता"


भदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि संवर्धन प्रतिष्ठान तथा मित्र संगठनों द्वारा दिनांक 17 सितम्बर, 2020 को देवमित्त अनागारिक धम्मपाल जी की जयन्ती के उपलक्ष्य में ‘विस्स-पालि-गारव-दिवसो’ का आयोजन किया जा रहा है तथा इस दिन को केन्द्रित रखते हुए 17 सितम्बर, 2020 से 01 अक्टूबर, 2020 तक ‘पालि-पखवाड़ा-2020’ का विशाल स्तर पर आयोजन किया जा रहा है।


इस पालि पखवाड़े के तहत अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। 23 सितम्बर, 2020 को "पालि भाषा का महत्त्व और वर्त्तमान-कालिक प्रासंगिकता" इस विषय पर पालि-विभाग-प्रमुखों के सम्मलेन का आयोजन किया जा रहा है।

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भिक्खुसंघ का सम्मेलन एवं देसना (22 सितम्बर, 2020) 






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पालि-प्रतियोगिता

22-24 सितम्बर, 2020
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- प्रतिदिन पूर्वाह्न में -
10.00 बजे से 01.00 बजे तक
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बच्चे देश, समाज और मानवता का वास्तविक भविष्य हैं। इन्हें करणीय-अकरणीय युक्त समुचित शिक्षा प्रदान करना प्रत्येक माता-पिता और समाज का दायित्व होता है। विशेषतः बच्चों को नैतिकता से अवगत कराना अत्यन्त आवश्यक है। भारत देश में तेजी से परिस्थितियां बदल रही हैं। बढ़ती हुई तकनीकी के वर्तमान-युग में तो बच्चों को नैतिक-शिक्षा तथा सामाजिक-दायित्व से परिचित कराना परम आवश्यक है। माता-पिता, परिवार, समाज तथा देश के प्रति बच्चों में सकारात्मक चिन्तन पैदा करना आज की आवश्यकता है। बच्चों को ऐसी शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए कि उनका न केवल व्यक्तित्व विकास हो, अपितु चरित्र-निर्माण भी होना चाहिए। इस हेतु तथागत भगवान् बुद्ध की शिक्षाएं वर्तमान-काल में सर्वथा प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण हैं। भगवान् बुद्ध ने अपने जीवन के अनमोल 45 वर्षों तक नैतिक, तर्कशील तथा बौद्धिक समाज के निर्माण हेतु सद्धम्म का प्रचार-प्रसार किया। उनका अनुत्तर धम्म सार्वकालिक, आशुफलदायी तथा मंगलकारी है।

बच्चों में भगवान् बुद्ध की इन नैतिक-शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार होना चाहिए। साथ ही बुद्ध-परम्परा का ज्ञान भी बच्चों में होना चाहिए। ज्ञातव्य है कि भारतीय-संस्कृति के वास्तविक दर्शन बुद्धवाणी के द्वारा सम्भव हैं। अतः हमें बच्चों को बुद्धवाणी ‘तिपिटक’ तथा इस परम्परा से अवगत कराना परम आवश्यक है। बुद्ध-परम्परा में तथागत भगवान् बुद्ध के 80 अग्रश्रावकों-महाकस्सप, उपालि, आनन्द, अश्वजित्, सारिपुत्र, मोग्गलान इत्यादि-का विशेष स्थान है। इसी प्रकार ‘भदन्ताचार्य’ की अभिज्ञा से प्रसिद्ध बुद्धदत्त, बुद्धघोष और धम्मपाल ने अट्ठकथाओं का प्रणयन करके बुद्धवाणी के अवबोध कराने में महान् भूमिका निभाई तथा लोककल्याण में सहायक हुए। इसी प्रकार इस परम्परा में बिम्बिसार, प्रसेनजित्, उदयन, देवानंपिय सम्राट् अशोक, हर्षवर्द्धन, मिनाण्डर (मिलिन्द), कनिष्क इत्यादि अनेकानेक दानवीर तथा लोकमंगल की भावना से ओत-प्रोत प्रसिद्ध राजा हुए। इसी परम्परा में नागसेन, दिंगनाग, अश्वघोष, नागार्जुन, आर्यदेव, शान्तिदेव, शान्तरक्षित, असंग, वसुबन्धु, धर्मकीर्ति सदृश महान आचार्यों के नाम भी ससम्मान लिए जाते है। यह परम्परा प्रतीकों की है। इस परम्परा में ‘महाबोधिवृक्ष’ पावन प्रतीक के रूप में विश्व को मैत्री, शान्ति, करुणा और बन्धुत्व का सन्देश प्रदान कर रहा है। इस प्रकार बच्चों को धम्म के प्रतीकों के विषय में जानकारी होना भी आवश्यक है। इसी प्रकार भगवान् बुद्ध के जीवन और चर्या से जुड़े हुए चार पवित्र तीर्थ-स्थान लुम्बिनी वन, बोधगया, सारनाथ तथा कुशीनगर के विषय में भी बच्चों को ज्ञात होना आवश्यक है।

इस महती परम्परा में आधुनिक काल में भी अनेक महान् आचार्य हुए है। अनागारिक धर्मपाल, धम्मानन्द कोसम्बी, बाबासाहब डा. भीमराव अम्बेडकर, महापण्डित राहुल सांकृत्यायन, डा. भदन्त आनन्द कौशल्यायन, भिक्खु जगदीश कश्यप, भिक्खु डा. धर्मरक्षित, डाॅ. भरतसिंह उपाध्याय, प्रो. जगन्नाथ उपाध्याय, प्रो. शान्तिभिक्षु शास्त्री प्रभृति आधुनिक आचार्य इस परम्परा के ध्वज-वाहक हुए, जिन्होंने बुद्ध-धम्म को वर्तमान-युग में लोककल्याण हेतु पुनः संस्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसी तारतम्य में अत्यंत हर्ष के साथ सूचित किया जा रहा है कि देवमित्त अनागारिक धम्मपाल के जन्म-दिनांक 17 सितम्बर को “विस्स पालि गारव दिवस” (विश्व-पालि-गौरव-दिवस) के रूप में मनाया जाता है। भदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि संवर्धन प्रतिष्ठान के द्वारा इस दिन से आरम्भ करके 15 दिनों यानि एक पखवाड़े तक यह ‘पालि-पखवाड़ा’ रूपी उत्सव के रूप में मनाया जाता है। कोरोना के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जूम एप के माध्यम से यह पालि-पखवाड़ा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जा रहा है।

पालि-पखवाड़ा वस्तुतः एक पालि-उत्सव है तथा इसके अन्तर्गत बच्चों में नैतिक-शिक्षा का प्रसार करने की दृष्टि से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाने सुनिश्चित किये गये हैं। उनमें 22-24 सितम्बर, 2020 की अवधि में बच्चों के लिए ‘पालि-प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत तीन वर्गों में विविध प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। माध्यमिक स्तर, हाई स्कूल/हायर सेकेण्डरी स्कूल तथा स्नातक/स्नातकोत्तर के इन तीन स्तरों में पालि-गीत, पालि-कविता-पाठ, पालि-निबन्ध-लेखन, भाषण, श्रुत-लेखन, परिचय-लेखन-स्पर्धा, परिचय-कथन-स्पर्धा, संगायन, पालि-ज्ञान-प्रतियोगिता, धम्म-पालि-प्रश्नावली, चित्रकला और रंग भरो प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जायेगा।
सभी प्रतियोगिताएँ जूम, गूगल मीट, टेलीग्राम, व्हाट्स-अप, गूगल फार्म इत्यादि के माध्यम से आयोजित की जायेंगी।
समस्त प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया जायेगा तथा समस्त प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र प्रदान किया जायेगा।

नोट-
1. प्रति प्रतियोगिता के नियम और निर्देश पृथक से प्रदान किये जायेंगे।
2. सभी को एक लिंक के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक होगा।
3. प्रतियोगिताओं की लिंक बाद में बताई जायेगी।
4. सभी को टेलीग्राम एप डाउनलोड करके ‘पालि-पखवाड़ा 2020 (प्रतियोगिता)’ ग्रुप की निम्नोक्त लिंक से जुड़ना आवश्यक है-


- संयोजक तथा पालिमित्र