Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation

Monday 7 September 2020

On September 07, 2020 by Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation   No comments

पालि-प्रतियोगिता

22-24 सितम्बर, 2020
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- प्रतिदिन पूर्वाह्न में -
10.00 बजे से 01.00 बजे तक
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बच्चे देश, समाज और मानवता का वास्तविक भविष्य हैं। इन्हें करणीय-अकरणीय युक्त समुचित शिक्षा प्रदान करना प्रत्येक माता-पिता और समाज का दायित्व होता है। विशेषतः बच्चों को नैतिकता से अवगत कराना अत्यन्त आवश्यक है। भारत देश में तेजी से परिस्थितियां बदल रही हैं। बढ़ती हुई तकनीकी के वर्तमान-युग में तो बच्चों को नैतिक-शिक्षा तथा सामाजिक-दायित्व से परिचित कराना परम आवश्यक है। माता-पिता, परिवार, समाज तथा देश के प्रति बच्चों में सकारात्मक चिन्तन पैदा करना आज की आवश्यकता है। बच्चों को ऐसी शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए कि उनका न केवल व्यक्तित्व विकास हो, अपितु चरित्र-निर्माण भी होना चाहिए। इस हेतु तथागत भगवान् बुद्ध की शिक्षाएं वर्तमान-काल में सर्वथा प्रासंगिक और महत्त्वपूर्ण हैं। भगवान् बुद्ध ने अपने जीवन के अनमोल 45 वर्षों तक नैतिक, तर्कशील तथा बौद्धिक समाज के निर्माण हेतु सद्धम्म का प्रचार-प्रसार किया। उनका अनुत्तर धम्म सार्वकालिक, आशुफलदायी तथा मंगलकारी है।

बच्चों में भगवान् बुद्ध की इन नैतिक-शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार होना चाहिए। साथ ही बुद्ध-परम्परा का ज्ञान भी बच्चों में होना चाहिए। ज्ञातव्य है कि भारतीय-संस्कृति के वास्तविक दर्शन बुद्धवाणी के द्वारा सम्भव हैं। अतः हमें बच्चों को बुद्धवाणी ‘तिपिटक’ तथा इस परम्परा से अवगत कराना परम आवश्यक है। बुद्ध-परम्परा में तथागत भगवान् बुद्ध के 80 अग्रश्रावकों-महाकस्सप, उपालि, आनन्द, अश्वजित्, सारिपुत्र, मोग्गलान इत्यादि-का विशेष स्थान है। इसी प्रकार ‘भदन्ताचार्य’ की अभिज्ञा से प्रसिद्ध बुद्धदत्त, बुद्धघोष और धम्मपाल ने अट्ठकथाओं का प्रणयन करके बुद्धवाणी के अवबोध कराने में महान् भूमिका निभाई तथा लोककल्याण में सहायक हुए। इसी प्रकार इस परम्परा में बिम्बिसार, प्रसेनजित्, उदयन, देवानंपिय सम्राट् अशोक, हर्षवर्द्धन, मिनाण्डर (मिलिन्द), कनिष्क इत्यादि अनेकानेक दानवीर तथा लोकमंगल की भावना से ओत-प्रोत प्रसिद्ध राजा हुए। इसी परम्परा में नागसेन, दिंगनाग, अश्वघोष, नागार्जुन, आर्यदेव, शान्तिदेव, शान्तरक्षित, असंग, वसुबन्धु, धर्मकीर्ति सदृश महान आचार्यों के नाम भी ससम्मान लिए जाते है। यह परम्परा प्रतीकों की है। इस परम्परा में ‘महाबोधिवृक्ष’ पावन प्रतीक के रूप में विश्व को मैत्री, शान्ति, करुणा और बन्धुत्व का सन्देश प्रदान कर रहा है। इस प्रकार बच्चों को धम्म के प्रतीकों के विषय में जानकारी होना भी आवश्यक है। इसी प्रकार भगवान् बुद्ध के जीवन और चर्या से जुड़े हुए चार पवित्र तीर्थ-स्थान लुम्बिनी वन, बोधगया, सारनाथ तथा कुशीनगर के विषय में भी बच्चों को ज्ञात होना आवश्यक है।

इस महती परम्परा में आधुनिक काल में भी अनेक महान् आचार्य हुए है। अनागारिक धर्मपाल, धम्मानन्द कोसम्बी, बाबासाहब डा. भीमराव अम्बेडकर, महापण्डित राहुल सांकृत्यायन, डा. भदन्त आनन्द कौशल्यायन, भिक्खु जगदीश कश्यप, भिक्खु डा. धर्मरक्षित, डाॅ. भरतसिंह उपाध्याय, प्रो. जगन्नाथ उपाध्याय, प्रो. शान्तिभिक्षु शास्त्री प्रभृति आधुनिक आचार्य इस परम्परा के ध्वज-वाहक हुए, जिन्होंने बुद्ध-धम्म को वर्तमान-युग में लोककल्याण हेतु पुनः संस्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसी तारतम्य में अत्यंत हर्ष के साथ सूचित किया जा रहा है कि देवमित्त अनागारिक धम्मपाल के जन्म-दिनांक 17 सितम्बर को “विस्स पालि गारव दिवस” (विश्व-पालि-गौरव-दिवस) के रूप में मनाया जाता है। भदन्ताचार्य बुद्धदत्त पालि संवर्धन प्रतिष्ठान के द्वारा इस दिन से आरम्भ करके 15 दिनों यानि एक पखवाड़े तक यह ‘पालि-पखवाड़ा’ रूपी उत्सव के रूप में मनाया जाता है। कोरोना के कारण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए जूम एप के माध्यम से यह पालि-पखवाड़ा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जा रहा है।

पालि-पखवाड़ा वस्तुतः एक पालि-उत्सव है तथा इसके अन्तर्गत बच्चों में नैतिक-शिक्षा का प्रसार करने की दृष्टि से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाने सुनिश्चित किये गये हैं। उनमें 22-24 सितम्बर, 2020 की अवधि में बच्चों के लिए ‘पालि-प्रतियोगिता’ का आयोजन किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत तीन वर्गों में विविध प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी। माध्यमिक स्तर, हाई स्कूल/हायर सेकेण्डरी स्कूल तथा स्नातक/स्नातकोत्तर के इन तीन स्तरों में पालि-गीत, पालि-कविता-पाठ, पालि-निबन्ध-लेखन, भाषण, श्रुत-लेखन, परिचय-लेखन-स्पर्धा, परिचय-कथन-स्पर्धा, संगायन, पालि-ज्ञान-प्रतियोगिता, धम्म-पालि-प्रश्नावली, चित्रकला और रंग भरो प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया जायेगा।
सभी प्रतियोगिताएँ जूम, गूगल मीट, टेलीग्राम, व्हाट्स-अप, गूगल फार्म इत्यादि के माध्यम से आयोजित की जायेंगी।
समस्त प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को सम्मानित किया जायेगा तथा समस्त प्रतिभागियों को प्रतिभागिता प्रमाण-पत्र प्रदान किया जायेगा।

नोट-
1. प्रति प्रतियोगिता के नियम और निर्देश पृथक से प्रदान किये जायेंगे।
2. सभी को एक लिंक के माध्यम से रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक होगा।
3. प्रतियोगिताओं की लिंक बाद में बताई जायेगी।
4. सभी को टेलीग्राम एप डाउनलोड करके ‘पालि-पखवाड़ा 2020 (प्रतियोगिता)’ ग्रुप की निम्नोक्त लिंक से जुड़ना आवश्यक है-


- संयोजक तथा पालिमित्र





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