Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation

Monday 7 September 2020

On September 07, 2020 by Bhadantacharya Buddhadatta Pali Promotion Foundation   No comments

 त्रिदिवसीय वेबीनार

उपशीर्षक

धम्म-लिपि के विविध आयाम
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19-21 सितम्बर, 2020
उद्घाटन-सत्र
1. प्रमुख वक्तव्य
2. धम्म-लिपि का उद्भव एवं विकास
3. धम्म-लिपि के लेखन की सामग्री या स्रोत
4. धम्म-लिपि के गूढ़ाक्षरों को पढ़ने के विभिन्न प्रयास
5. प्रिंसेप द्वारा धम्म-लिपि को पढ़ने की कथा
6. धम्म-लिपि और महावंस के अनुवाद की कथा
द्वितीय-सत्र
7. धम्म-लिपि नायक जेम्स प्रिंसेप
8. साँची-दानं: एक सूत्र
9. धम्म-लिपि की खोज का आधुनिक भारत के
इतिहास और संस्कृति पर प्रभाव
10. खरोष्ठी और ब्राह्मी लिपि का सह-सम्बन्ध
तृतीय-सत्र
11. धम्म-लिपि के विविध स्वरूप
12. धम्म-लिपि की प्रमुख विशेषताएँ
13. अरियानो पालि
14. धम्म-लिपि का विभिन्न लिपियों पर प्रभाव
चतुर्थ-सत्र
15. सिन्धु-घाटी सभ्यता की लिपि और धम्म-लिपि का
तुलनात्मक विवेचन
16. सम्राट् अशोक के शिलालेखों की विषय-वस्तु
17. ब्राह्मी-लिपि अथवा धम्म-लिपि
18. धम्म-लिपि और पालि-भाषा का अन्तःसम्बन्ध
प´्चम-सत्र
19. धम्म-लिपि के प्रतिचित्रण की प्रविधि
20. धम्म-लिपि के लिप्यन्तरण सम्बन्धी टूल्स
21. धम्म-लिपि के फोण्ट्स की समस्याएँ और समाधान
छट्ठ-सत्र
22. धम्म-लिपि सीखाने एवं जनप्रिय बनाने के
विविध उपक्रम और उपाय
23. धम्म-लिपि सीखाने हेतु शिक्षण सामग्री निर्माण की
आवश्यकता और करणीय कार्य

समापन-सत्र
24. धम्म-लिपि-साक्षरता की आवश्यकता, महत्त्व एवं उपाय





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